अशोक गहलोत के ‘डबल गेम’ में फंस गई कांग्रेस, पायलट का क्या होगा ?

जयपुर
राजस्थान  के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के डबल गेम में कांग्रेस फंस गई है। गहलोत सचिन पायलट को किसी भी सूरत में सीएम स्वीकार नहीं करेंगे। गहलोत कैंप ने आलाकमान को 5 नाम दिए है। पार्टी आलाकमान जिद पर अड़ा रहा तो गहलोत महाराष्ट्र जैसा खेला खेल सकते हैं। कांग्रेस टूट सकती है। आलाकमान ने गहलोत की बगावत को पार्टी ने विद्रोह माना है। हालांकि, अभी समझाने-मनाने का दौर चल रहा है। परदे के पीछे कांग्रेस के रणनीतिकार लगे हैं। राजस्थान की राजनीति में अगले 24 घंटे बहुत ही निर्णायक होंगे। सियासी घटनाक्रम के बीच सीएम गहलोत की चुप्पी बेहद मायने रखती है।  गहलोत कांग्रेस अध्यक्ष की रेस से बाहर हो जाते हैं तो फिर तय है कि राजस्थान में महाराष्ट्र जैसा खेला होगा। इस बा पार्टी आलाकमान सचिन पायलट के पक्ष में खड़ा है। पिछली बार गहलोत के पक्ष में खड़ा था। सोनिया गांधी सचिन पायलट को राजस्थान की कमान सौंपने पक्ष में है। आपको बता दें 1978 में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शरद पवार ने कांग्रेस में दो फाड़ कर दिए थे। पवार ने अलग पार्टी बना थी और खुद सीएम बन बैठे थे। हालांकि, शरद पवार बाद में 1986 में फिर कांग्रेस में शामिल हो गए थे।

धारीवाल ने अजय माकन पर फोड़ा ठीकरा
गहलोत समर्थक मंत्री शांति धारीवाल ने राजस्थान की स्थिति के लिए प्रदेश प्रभारी अजय माकन को जिम्मेदार ठहराया है। सोमवार को धारीवाल ने फिर कहा कि हम सचिन पायलट को किसी भी सूरत में स्वीकार नहीं करेंगे। राजस्थान की स्थिति के लिए अजय माकन जिम्मेदार है। धारीवाल ने संकेत दिए कि हमारे पास 'प्लान-बी' भी तैयार है। लेकिन हम झुकेंगे नहीं। धारीवाल ने कहा कि विधायकों का समर्थन हासिल है।  आपको बता दें गहलोत के कुछ समर्थक विधायकों को पार्टी से बाहर करने की तैयारी है। उनमें शांति धारीवाल का नाम सामने आ रहा है। धारीवाल गहलोत के समर्थक हैं। उन्होंने सचिन पायलट के खिलाफ बयानबाजी भी की है। साथ ही विधायकों को पार्टी लाइन पर चलने के लिए मजबूर करने की भी कोशिश की जा रही है। धारीवाल ने ही अपने आवास पर बैठक कर गहलोत समर्थक विधायकों को लामबंद कर कांग्रेस विधायक दल की बैठक का बहिष्कार किया था। गहलोत समर्थक राज्य मंत्री डॉ सुभाष गर्ग ने कहा, "आलाकमान को यह ध्यान रखना चाहिए कि दो साल पहले बीजेपी के साथ मिलकर सरकार गिराने की साज़िश किन लोगों ने रची थी."

पार्टी ने गहलोत के कदम को माना विद्रोह
कांग्रेस नेताओं का कहना है कि हमने कांग्रेस पार्टी की बैठक में कई बार झगड़े जैसी स्थिति को देखा है, लेकिन जयपुर में जो कुछ हुआ। वह एक विद्रोह था। राज्य इकाई को तोड़ने की साजिश थी। अब समय बहुत कम बच गया है। जब पार्टी अध्यक्ष के लिए चुनाव होने हैं। उन्होंने कहा कि अगर किसी ने पार्टी हाईकमांड को चुनौती देने की कोशिश की, तो उनके खिलाफ कार्रवाई होगी। राजस्थान की राजनीति में अगले 24 घंटे बहुत ही निर्णायक होने जा रहे हैं। हो सकता है पायलट को जिम्मेदार दी जाए या फिर किसी और चेहरे को भी जवाबदेही सौंपी जा सकती है। आपको बता दें साल 2020 में पायलट कैंप ने बगावत कर राजस्थान में कांग्रेस की सरकार को मुश्किल में डाल दिया था। इस बार गहलोत ने बगावत कर पार्टी आलाकमान को मुश्किल में डाल दिया है।