MP:’समन्वय’ मजबूत करने की कवायद

सत्ता के गलियारे से … रवि अवस्थी,8-12-24
डॉ मोहन सरकार की पिछली कैबिनेट बैठक में उज्जैन की प्रस्तावित सड़कों को लेकर जिस तरह के सवाल-जवाब हुए,वह यह बताने के लिए काफी हैं कि हालात सामान्य तो कतई नहीं है। इंदौर के मंच से हुई सार्वजनिक बयानबाजी पहले ही इसके संकेत देती रही है। फिर वह गजवा-ए-हिंद मामले में आए परस्पर विरोधी बयान हों या नशे के कारोबारियों को लेकर दी गई नसीहत। नाराजगी उन नस्तियों को लेकर भी है जो मंत्रालय का प्रशासनिक निजाम बदलने के बाद ‘पारखी’ नजरों से गुजर रही हैं।

यह तमाम खबरें दिल्ली दरबार को भी हैं और आज (रविवार) रात मप्र के चार बड़े नेताओं की दिल्ली में रहने वाली मौजूदगी को इसी से जोड़कर देखा जा रहा है। इनमें सीएम डॉ मोहन यादव के अलावा मंत्री कैलाश विजयवर्गीय,राकेश सिंह व प्रहलाद पटेल शामिल हैं। सूत्रों के मुताबिक,कार्यक्रम में ऐन वक्त पर कोई बदलाव नहीं हुआ तो चारों के दिल्ली पहुंचने का समय लगभग एक है,लेकिन यात्रा अलग-अलग।

** ‘मामा’ की नई पहचान
पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह अब तक बहनों के लाडले रहे,लेकिन वह अब किसानों के भी लाडले   बन गए हैं। शिवराज को यह उपाधि स्वयं उप राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने संसद में दी। जिनके मुंबई में दिए एक बयान ने शिवराज की मुश्किलें बढ़ा दी थी। यही नहीं,धनखड़ के बयान से नेतृत्व भी कुछ समय के लिए असहज हुआ। इसका पटाक्षेप उप राष्ट्रपति ने यह कहते हुए किया कि मंत्री जी मुंबई आते-जाते समय मेरे साथ ही थे और उनकी साफगोई से मैं आश्वस्त हूं और कह सकता हूं कि वह किसानों के लाडले भी हैं।

** ‘सरकार’ का कम बैक
बीते हफ्ते सूबे की सियासत में दो बड़े सियासी घटनाक्रम बेहद चुपके से हुए। एक केंद्रीय मंत्री  सिंधिया के विजयपुर मामले में बयान देकर बैकफुट पर आना तो दूसरा,प्रदेश के मुखिया का पूर्ववर्ती सरकार की योजनाओं पर कम बैक। विदेश दौरे से वापसी के अगले ही दिन मुख्यमंत्री ओंकारेश्वर पहुंचे व आदि गुरु शंकराचार्य की प्रतिमा को नमन किया। यही नहीं,उन्होंने अपने पूर्ववर्ती के महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट एकात्म धाम की भी सुध ली।’कम बैक’ की निरंतरता रही तो यह सियासी जमावट को मजबूती ही देगी।

** राज्यमंत्री की पीड़ा
अपनी जमावट में सेंध किसी भी नेता को रास नहीं आती। इस पर अपने ही जब सेंधमारी का जतन करें तो तकलीफ होना स्वाभाविक है। बीते दिनों प्रदेश की पंचायत व ग्रामीण विकास राज्य मंत्री राधा सिंह भी ऐसी ही पीड़ा से गुजरीं। पंचायत राज्य मंत्री के निर्वाचन जिले में एक बांध के लिए भूमिपूजन हुआ। इसमें बीजेपी की क्षेत्रीय महिला विधायक को तो नवाजा गया लेकिन विभागीय मामला होने के बावजूद राधा सिंह को पूरी तरह दूर रखा। जानकारों की मानें तो समूचा मामला वर्चस्व का है और अफसरों का रवैया जिधर दम उधर हम वाला बना हुआ है।

** मन्नत हुई पूरी

इधर,इसी अंचल की एक अन्य राज्य मंत्री प्रतिमा बागरी ने अपनी मन्नत पूरी होने पर सतना से मैहर तक पदयात्रा कर मां शारदा का आभार जताया। बागरी दूसरे प्रयास में विधायक बनीं। पहले में खासे सियासी पापड़ बेलने के बाद भी उन्हें पराजय हाथ लगी थी,लेकिन दूसरी बार में वह न सिर्फ विधायक बनीं,बल्कि पहली बार में ही मंत्री भी। अब ऐसे में माता का आभार जताना तो बनता है।

** पर्यवेक्षक पर भार

चुनाव की प्रक्रिया जितनी सहज है,इसके क्रियान्वयन की उतनी ही कठिन। फिर वह चुनाव कोई भी हों। बीजेपी भी संगठन चुनाव के दौर से गुजर रही है। जितना बड़ा कुनबा,दिक्कतें भी उतनी ज्यादा। चार दौर के चुनाव में मामला अभी पहले पर ही अटका है। नेतृत्व का जोर,लोकतांत्रिक तरीका अपनाने पर है और रुतबेदार मैदानी नेताओं को इसकी आदत नहीं।इसके चलते मैदानी स्तर के चुनाव के लिए ही संभवतया पहली बार पर्यवेक्षक व्यवस्था करनी पड़ी और पर्यवेक्षक भी ऐसे चुने गए,जिनके आगे कोई सिफारिश काम नहीं करती।

** प्रदर्शन भाजपा का,जीत कांग्रेस की!

सियासत में श्रेय सर्वोपरि है। कुछ ऐसा ही, हाल ही में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी ने भी जताने का जतन किया। बांग्लादेशी हिंदुओं पर बढ़ते हमले के विरोध में हिंदूवादी संगठनों के साथ बीजेपी नेता भी सड़क पर उतरे,लेकिन इसका श्रेय पटवारी लेते नजर आए। एक बयान में उन्होंने कहा-कांग्रेस की ही मांग पर बीजेपी नेता सड़क पर उतरने मजबूर हुए। जीतू राजनीति के माहिर खिलाड़ी हैं और शॉर्टकट से प्रदेश संगठन के मुखिया पद तक पहुंचने वाले गिने-चुने नेताओं में एक।

** सेवा की अनूठी मिसाल
श्योपुर में मिडिल स्कूल के एक शिक्षक हैं,परीक्षित भारती। कुछ साल पहले एक आइडिया के तहत उन्होंने जिला प्रशासन के सहयोग से एक फ्री कोचिंग सेंटर शुरू किया। इसमें सभी वर्गों के जरूरतमंद चुनिंदा बच्चों को यूपीएससी की कोचिंग नि:शुल्क दी जा रही है। श्योपुर से शुरू हुई इस सेवा का विस्तार भोपाल समेत 10 जिलों तक हो चुका है। हजारों बच्चे इसका लाभ उठा रहे हैं। कुछ तो लक्ष्य को पाने में भी सफल हुए। खास बात यह कि इस कारवां में कई सेवाभावी लोग जुड़े गए हैं। जो शिक्षा से लेकर प्रबंधन तक की सेवाएं नि:शुल्क दे रहे हैं। प्रशासन का सहयोग सिर्फ स्थान उपलब्ध कराने तक सीमित है।

** एक तस्वीर यह भी

दूसरी ओर मऊगंज जिले के एक शिक्षक हैं,हीरालाल पटेल। अवकाश चाहिए था तो शाला के एक छात्र को ही फर्जी तौर पर मृत बताया और शोक स्वरूप अवकाश घोषित कर दिया। पोल खुली तो अब सस्पेंड हैं। वहीं नर्मदापुरम के केसला में एक प्रधानाध्यापक रामदास जनेरिया की दबंगई से ग्रामीण हीं नहीं विभाग भी परेशान हैं।

** तकदीर का खेल

तदबीर और तकदीर का मेल सुनिश्चित नहीं है। वरिष्ठ आईपीएस अजय शर्मा का नाम प्रदेश के नए डीजीपी की सूची में सबसे ऊपर माना जा रहा था,वह अब मप्र पुलिस हाउसिंग कार्पोरेशन के अध्यक्ष हैं। वहीं,इसी निगम के पूर्व अध्यक्ष कैलाश मकवाना प्रदेश पुलिस के नए मुखिया। खास बात यह कि मकवाना के साथ पुलिस हाउसिंग में सहयोगी के तौर पर एमडी उपेंद्र जैन थे,लेकिन नए बदलाव में दोनों ही पदों का दायित्व अब शर्मा के पास है। जबकि निगम एमडी उपेंद्र जैन को शर्मा की जगह महानिदेशक ईओडब्ल्यू बनाया गया। मकवाना जी के डीजीपी बनने के बाद,पुलिस में यह पहला बड़ा बदलाव है।  

** इस पर भी करें गौर

मप्र विधानसभा सचिवालय अब नई भर्ती के लिए नए नियम बनाने की तैयारी में है,लेकिन आधिकारिक स्तर पर पैदा वैक्यूम को लेकर कोई विचार नहीं है। आलम यह कि दो साल पहले सेवानिवृत हुए मौजूदा प्रमुख सचिव एपी सिंह का कार्यकाल ही दो बार बढ़ाया जा चुका है। वहीं सचिव पद पर भी लोकसभा सचिवालय से प्रतिनियुक्ति से लाए गए अधिकारी से काम चलाना पड़ रहा है। यह भी रिटायरमेंट की कगार पर हैं। अतिरिक्त सचिव का एक पद भी प्रतिनियुक्ति से भरा गया। उपसचिव स्तर पर भी हालात कुछ इसी तरह हैं। यानी पदोन्नति का पूरा सिस्टम ही बैठा हुआ है और सचिवालय बेफिक्र।

** नसीहत का असर नहीं

जनप्रतिनिधियों से सद्व्यवहार की नसीहत के बावजूद मैदानी अफसर अधिकारी विपक्षी दलों के प्रतिनिधियों को तवज्जो नहीं दे रहे हैं। ऐसे ही दो मामले हाल ही में सामने आए। सागर में दो बार की जिला पंचायत सदस्य ज्योति पटेल व वहां के जिला पंचायत सीईओ विवेक के.व्ही. के बीच विवाद व अमर्यादित बर्ताव चर्चा का विषय रहा। पूर्व सीएम व कांग्रेस सांसद दिग्विजय सिंह ने मुख्यमंत्री यादव को पत्र लिखकर इसकी शिकायत की। विवेक साल 2020 के आईएएस हैं। दूसरी ओर एक अन्य वीडियो सैलाना,रतलाम विधायक कमलेश डोडियार का वायरल हुआ।कहा जाता है ‘सिस्टम’ से लड़ रहे डोडियार,खुद इसका शिकार बन चुके हैं।