अन्नपूर्णा जयंती के दिन नहीं करें अन्न का अपमान और बर्बादी,जानिए क्यों

अन्नपूर्णा जयंती का दिन माता पार्वती की पूजा के लिए समर्पित होता है. हिंदू पंचांग के अनुसार मार्गशीर्ष माह (अगहन) के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि के दिन अन्नपूर्णा जयंती मनाई जाती है. इस साल अन्नपूर्णा जयंती गुरुवार 08 दिसंबर को मनाई जाएगी. पौराणिक कथा के अनुसार मार्गशीर्ष पूर्णिमा के दिन ही माता पार्वती देवी अन्नपूर्णा का रूप धारण कर धरती पर अतरित हुई थीं. इस दिन जो व्यक्ति सच्ची निष्ठा और भक्ति से माता पार्वती की पूजा-अराधना करते हैं, उनके जीवन में अन्न-धन की कमी नहीं रहती. साथ ही घर की रसोई अन्न भंडार से भरी रहती है और कोई व्यक्ति भूखा नहीं सोता. लेकिन अन्नपूर्णा जयंती की पूजा का फल तभी प्राप्त होता है, जब आप इस दिन कुछ विशेष नियमों का पालन करेंगे. दिल्ली के आचार्य गुरमीत सिंह जी से जानते हैं अन्नपूर्णा जयंती के दिन क्या करना चाहिए और क्या नहीं करना चाहिए.

अन्नपूर्णा जयंती महत्व
देवी अन्नपूर्णा को अन्न की देवी कहा जाता है. इस दिन महिलाएं मुख्य रूप से रसोई को साफ-सुथरा कर अन्न और चूल्हे की पूजा करती हैं. शास्त्रों में घर की गृहिणी को भी अन्नपूर्णा का स्वरूप माना गया है, इसलिए इस दिन घर की महिलाएं रसोई में चावल की खीर बनाकर भोग लगाती हैं और दीपक जलाती हैं. ऐसा करने से घर पर अन्न भंडार भरा रहता है.

अन्नपूर्णा जयंती के दिन क्या करें
1- रसोई घर को साफ-सुथरा कर गंगाजल से शुद्ध करें.

2- चूल्हे, स्टोव, गैस आदि की भी पूजा करें.

3- अन्नपूर्णा जयंती के दिन अन्न का दान करने से देवी अन्नपूर्णा प्रसन्न होती हैं.

4- इस दिन लाल, पीला और सफेद रंग के कपड़े पहनना शुभ होता है.

5- अन्नपूर्णा माता की पूजा सुबह ब्रह्म मुहूर्त और संध्याकाल में ही करें.

अन्नपूर्णा जयंती पर क्या न करें
1- इस दिन रसोई घर को गंदा न रखें.

2- देवी अन्नपूर्णा की पूजा में दूर्वा नहीं चढ़ाना चाहिए.

3- अन्नपूर्णा जयंती पर नमक वाला भोजन नहीं करना चाहिए.

4- इस दिन रसोईघर में मांस-मछली या तामसिक भोजन नहीं बनाएं.

5- अन्नपूर्णा जयंती के दिन अन्न की बर्बादी नहीं करनी चाहिए.