भाजपा यूं तो हर वक्त चुनावी मोड में होती है और हर चुनाव को वह योजनाबद्ध तरीके से लड़ती भी है लेकिन बढ़ती अपेक्षाओं व महत्वाकांक्षाओं ने ‘मिशन-23’ को उसके लिए चुनौतीपूर्ण बना दिया है । माना जा रहा है कि पार्टी अगले सभी चुनाव प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चेहरे को ही आगे कर लड़ेगी । ऐसे में पार्टी की मप्र इकाई ने ही प्रधानमंत्री के आधा दर्जन ‘मेगा शो’ का रोडमैप तैयार किया है । इसकी शुरुआत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के उनके अपने जन्मदिन पर ग्वालियर-चंबल अंचल के कूनो प्रवास से हुई । उनका अगला दौरा 9 अक्टूबर शरद पूर्णिमा को उज्जैन में प्रस्तावित है । यहां महाकाल कॉरिडोर के पहले चरण का काम लगभग पूरा हो चुका है ।
शिवराज सरकार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से जुड़े हर मामले को लेकर बेहद संवेदनशील है । फिर वह मोदी सरकार द्वारा लागू योजनाओं व कार्यक्रमों को सबसे पहले अपनाने का मामला हो या उनका जन्मदिन । प्रधानमंत्री अपने 72वें जन्मदिन पर मप्र आए तो राज्य सरकार ने इसे बेहद खास बना दिया ।
प्रधानमंत्री के जन्मदिन पर प्रदेश में बुजुर्गों को तीर्थ दर्शन कराने पांच नई ट्रेन चलाईं गयी तो तबादले चाहने वाले अधिकारी,कर्मचारियों की मुराद पूरी करने की शुरुआत भी इसी दिन से हुई । यही नहीं, वंचित पात्र को हितग्राही मूलक योजनाओं का लाभ पहुंचाने का ‘मुख्यमंत्री जनसेवा अभियान’ भी प्रधानमंत्री के जन्मदिन से शुरू किया गया । इसी दिन प्रदेशभर में स्वैच्छिक रक्तदान शिविर भी लगे । देश के मुखिया के जन्मदिन को यादगार बनाने में संगठन भी पीछे नहीं रहा । इसी दिन से उसने सेवा पखवाड़े तो हरा भरा मप्र अभियान की शुरुआत की । अपने राष्ट्रीय नेतृत्व के प्रति ऐसा अनुराग व समर्पण किसी अन्य दल में देखने को नहीं मिलता ।
गुजरता सप्ताह मप्र में चीतों के 70 साल बाद पुनर्वास के ऐतिहासिक पल का साक्षी बना । अपने जन्मदिन पर प्रधानमंत्री की मौजूदगी ने इस कार्यक्रम में और चार चांद लगा दिए । चीतों की आमद मप्र के लिए निश्चित ही एक बड़ी सौगात है । इस मौके पर मप्र को प्रधानमंत्री से गिर के बब्बर शेर यानी एशियाटिक लायन गुजरात से दिलाए जाने की घोषणा का भी इंतजार रहा ,लेकिन कारोबारी नजरिया प्रदेशवासियों की उम्मीद पर एक बार फिर भारी पड़ा । बहरहाल,”मोदी है तो मुमकिन है…” यह नारा चीतों को छोड़े जाते वक्त भी कूनो में गूंजा और बब्बर शेरों को लेकर भी प्रदेशवासी आगे इसी उम्मीद से हैं ।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जन्मदिन के उपलक्ष्य में जारी जनसेवा पखवाड़ा प्रदेश भाजपा के उन नेताओं के लिए राहत देने वाला हो सकता है जो अपने बेटों को सक्रिय राजनीति में लाने को आतुर हैं । दरअसल,पखवाड़े के दौरान राष्ट्रीय नेतृत्व का जोर वादे की जगह प्रतिबद्धता पर है । इसमें ‘वंशवाद से मुक्ति’ विषय भी शामिल है ।
कहते हैं ,सफल पुरुष के पीछे उसकी धर्मपत्नी की भी अहम भूमिका होती है ।अब ,उम्र में कम लेकिन पद में वरिष्ठ प्रमुख दल के एक नेताजी को ही लीजिए ।
मूलतः बीकानेर राजस्थान निवासी प्रवीण सिंह अढायच मप्र कैडर के वर्ष 2012 बैच के IAS अधिकारी हैं । करीब सवा दो साल पहले उन्हें बुरहानपुर जिले का कलेक्टर पदस्थ किया गया।
14 सितंबर को हिंदी दिवस के मौके पर राजधानी की एक अनुदान प्राप्त संस्था ने बड़े से सभागृह में संगोष्ठी का आयोजन किया। उम्मीद यही थी,कि सभागृह खचाखच भरा होगा,लेकिन ऐसा हो न सका ।