प्रदेश में एक बार फिर सत्ता परिवर्तन के कयास जोरों पर हैं । ऐसी अटकलें पहले भी लगाई जाती रहीं हैं । जो निरर्थक साबित हुईं। लेकिन इस बार जोर-आजमाइश पूरी ताकत के साथ जारी है । एक-दो नहीं,कई “उम्मीद” से हैं ।
‘मिशन-2023’ के लिए राज्य के दोनों ही प्रमुख दलों में संगठनात्मक स्तर पर कसावट का दौर जारी है । इस मामले में बड़ी चुनौती कांग्रेस से कहीं अधिक सत्तारूढ दल भाजपा के समक्ष है ।
छत्तीसगढ़ भाजपा में हुए हालिया बदलाव के बाद प्रदेश संगठन भी चौकन्ना है । वजह भी है । पार्टी के क्षेत्रीय संगठन महामंत्री अजय जामवाल के पास छग के साथ मप्र का दायित्व भी है। संगठन को मजबूत करने छग में जामवाल अपना कमाल दिखा चुके हैं। सूत्रों का दावा है कि उनकी नजर मप्र संगठन पर भी है।
राज्य शासन का जोर आगामी एक साल में एक लाख पदों पर भर्ती को लेकर है। इसके लिए सभी विभागों को त्वरित कार्य योजना बनाकर भर्ती शुरू करने के निर्देश दिए गए हैं ।
एक और विभागों में निचले स्तर पर भर्ती के दरवाजे खोले गए हैं तो दूसरी ओर दर्जनभर से अधिक महकमे ऐसे हैं,जहां शीर्ष पद का काम संविदा पर तैनात अफसरों से चलाया जा रहा है ।
बेरोजगारी यूं तो संघर्ष का ही नाम है,लेकिन रोजगार मिलने पर भी भी हाथ खाली हो तो यह संघर्ष, वेदना बन जाता है ।
ज्यादातर भले व्यक्तियों का शराब जैसी चीज से कोई बहुत अधिक वास्ता नहीं होता । विशेषकर लेखन कार्य से जुड़े व्यक्ति।
लोग प्रदेश के मुखिया शिवराज सिंह चौहान से कैसी-कैसी अपेक्षाएं रखते हैं,हाल ही में मुख्यमंत्री हेल्पलाइन को मिली एक शिकायत इसकी बानगी है । इसमें छतरपुर जिले के एक ग्रामीण ने शिकायत दर्ज कराई कि जिला मुख्यालय में बस स्टैंड स्थित एक होटल संचालक समोसे के साथ कटोरी,चम्मच नहीं देता ।