’24 का संग्राम’ :खंडवा लोकसभा में राष्ट्रवादी विचारधारा की गहरी है पैठ

** खंडवा सीट पर चुनावी जंग तेज **मुकाबला बीजेपी,कांग्रेस के बीच ** BJP के समक्ष सीट बचाने की चुनौती ** कांग्रेस कर रही वापसी की कवायद **चलेगा मौदी मैजिक या होगा बदलाव **13 मई को पड़ेंगे वोट **11 उम्मीदवार आजमा रहें अपना भाग्य **खंडवा में 4 जिलों की आठ विधानसभाएं ** सात विस सीट बीजेपी,1 कांग्रेस के पास ** कांग्रेस,BJP के बीच रहा मुख्य मुकाबला **खंडवा सीट पर 19 बार हुए लोस चुनाव ** 9 दफा कांग्रेस,10बार जेपी,बीजेपी जीती **6 बार सांसद चुने गए BJP के नंदू भैया.
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भोपाल,रवि अवस्थी (Janprachar.com) . 24 का संग्राम’में बात निमाड़ अंचल की उस पावन धरा की ..जो कभी खांडव वन के नाम से जानी जाती रही..बोलचाल में आगे चलकर यह नाम खंडवा हुआ…वही खंडवा जो भारत के प्रसिद्ध फिल्म अभिनेता,पार्श्व गायक स्व.किशोर कुमार की जन्मभूमि रहा.. देश का प्रसिद्ध ओंकारेश्वर ज्योर्तिलिंग इसी जिले में है..तो खंडवा के दादा धूनी वाले दरबार के श्रद्धालु समूचे देश में हैं..गुरू पूर्णिमा पर यहां लगने वाले मेले में कई राज्यों के श्रद्धालु लाखों की संख्या में पहुंचते हैं..

नर्मदा व ताप्ती नदियों की घाटियों के बीच बसा खंडवा मप्र में पूर्वी निमाड़ का हिस्सा है..इस पर प्रकृति ने भी अपना नेह बरसाया है..कालांतर में यहां मिले अवशेष बताते हैं कि इस क्षेत्र में जैन व हिंदू मंदिर बड़ी संख्या में रहे..धूनी वाले छोटे व बड़े दादा यहां चमत्कारिक संत हुए..खंडवा जिले के व्यापक स्वरूप का देखते हुए दो दशक पहले इसे विभाजित कर एक अन्य जिला बुरहानपुर बनाया गया..खंडवा लोकसभा सीट चार जिले खंडवा,बुरहानपुर,देवास व खरगोन की आठ विधानसभाओं को मिलकर बनी..इस तरह,इस संसदीय क्षेत्र की संस्कृति,सभ्यता में पूर्वी व पश्चिमी निमाड़ के साथ ही मालवा की माटी की सुगंध भी महसूस की जा सकती है…ऐसा ही इस सीट का सियासी मिजाज भी रहा..कभी कांग्रेस का गढ़ रही खंडवा लोकसभा सीट अब बीजेपी के प्रभाव वाला क्षेत्र बन चुका है…

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निमाड़,मालवा का हिस्सा है खंडवा लोस
खंडवा का है धार्मिक,ऐतिहासिक महत्व
खंडवा जिले में है ओंकारेश्वर ज्योर्तिंलिंग

दादा धूनी वाला दरबार आस्था का केंद्र
गायक किशोर दा की जन्मस्थली खंडवा
प्रकृति ने भी खंडवा पर बरसाया है नेह
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खंडवा लोकसभा सामान्य सीट है..यहां पहला चुनाव वर्ष 1952 में हुआ व कांग्रेस के बाबूलाल तिवारी लगातार दो बार सांसद चुने गए..1967 व 1971 का चुनाव कांग्रेस के ही गंगाचरण दीक्षित ने
जीता..यानी शुरुआती पांच चुनाव तक यहां कांग्रेस ही काबिज रही..लेकिन वर्ष 1975 में देश में लगे आपातकाल ने खंडवा सीट पर कांग्रेस की जड़ें हिला दी..वर्ष 1977 में जनता पार्टी के परमानंद गोविंदजी वाला व 1979 के चुनाव में इसी पार्टी के कुशाभाउ ठाकरे यहां के सांसद बने..80 के दशक में देश में आए सियासी बदलाव का असर खंडवा में भी दिखा व यह सीट एक बार फिर कांग्रेस के पास आ गई..89 के चुनाव में बीजेपी ने पहली बार यहां जीत दर्ज की..अमृतलाल तारावाला सांसद चुने गए..लेकिन अगले चुनाव में कांग्रेस के ठाकुर महेंद्र सिंह चुनाव जीत गए..वर्ष 1996 के चुनाव में बीजेपी के नंदकुमार सिंह चौहान की यहां आमद हुई व इसके बाद वर्ष 2009 के चुनाव को छोड़ वह लगातार छह बार सांसद चुने गए..मार्च 2021 में उनके निधन के बाद यहां हुए उपचुनाव में बीजेपी के ही ज्ञानेश्वर पाटिल सांसद चुने गए..तो आइए आपको बताते हैं कैसा रहा खंडवा लोकसभा सीट का सियासी सफर..कौन कब किस दल से चुना गया सांसद….

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वर्ष         सांसद                  दल
1952 बाबूलाल तिवारी       कांग्रेस
1957 बाबूलाल तिवारी       कांग्रेस
1962 महेशदत्त मिश्रा         कांग्रेस
1967 गंगाचरण दीक्षित      कांग्रेस
1971 गंगाचरण दीक्षित      कांग्रेस
1977 परमानंद               जनता पार्टी
1979 कुशाभाउ ठाकरे      जनता पार्टी
1980 शिवकुमार सिंह       कांग्रेस
1984 कालीचरण सकरगाए कांग्रेस
1989 अमृतलाल तारावाला कांग्रेस
1991 महेंद्र कुमार सिंह    कांग्रेस
1996 नंद कुमार चौहान   बीजेपी
1998 नंद कुमार चौहान   बीजेपी
1999 नंद कुमार चौहान   बीजेपी
2004 नंद कुमार चौहान   बीजेपी
2009 अरुण यादव         कांग्रेस
2014 नंद कुमार चौहान   बीजेपी
2019 नंद कुमार चौहान   बीजेपी
2021 ज्ञानेश्वर पाटिल      बीजेपी
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खंडवा में अब तक एक उपचुनाव सहित 19 बार चुनाव हुए…इसमें 9 दफा कांग्रेस तो 90 के दशक बाद 8 बार बीजेपी जीती..यह बताता है कि खंडवा सीट पर शुरुआती दौर जहां कांग्रेस का रहा..वहीं बीते तीन दशक में वर्ष 2009 के चुनाव का छोड़ यह सीट बीजेपी का गढ़ रही..वर्तमान में भी यहां बीजेपी के सांसद ज्ञानेश्वर पाटिल है..बीजेपी ने एक बार फिर पाटिल पर भरोसा जताया है..उनका मुकाबला पहली बार सांसद का चुनाव लड़ रहे कांग्रेस के नरेंद्र पटेल से है..नरेंद्र पूर्व विधायक ताराचंद पटेल के भतीजे हैं..खरगोन जिले में उनका खासा असर रहा है..यदि संसदीय क्षेत्र के विधानसभा सीटों की बात करें तो क्षेत्र की आठ सीटों में से कांग्रेस के खाते में खरगोन जिले की सिर्फ एक सीट भीकनगांव है..शेष 7 सीटमांधाता,खंडवा,पंधाना,नेपानगर,बुरहानपुर व बड़वाह पर बीजेपी काबिज है..इस तरह देखा जाए तो सीट के अधिकांश हिस्से में केसरिया परचम ही फहरा रहा है..क्षेत्र में कांग्रेस गुटीय राजनीति का शिकार रही..इसके चलते इलाके के पूर्व सांसद अरुण यादव को हाशिए पर डालने का काम लगातार हुआ..

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पिछले पांच चुनाव में जीत हार का अंतर
वर्ष   विजयी दल/मत % पराजित दल/मत %       जीत का मार्जिन
2004 बीजेपी 49.71      कांग्रेस 32.74                 1,02,737
2009 कांग्रेस 48.48     बीजेपी 42.45                    49,801
2014 बीजेपी 57.04     कांग्रेस 36.39                 2,59,714
2019 बीजेपी 57.14     कांग्रेस 38.52                 2,73,343
2021 बीजेपी 49.85     कांग्रेस 43.38                    82,140
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2021 में हुए उपचुनाव में बीजेपी के ज्ञानेश्वर पाटिल ने कांग्रेस के राज नारायण सिंह पूर्णी को 82हजार 140 मतो से हराया था..पाटिल को 49.85 वोट मिले..जबकि पूर्णी 43.38 प्रतिशत वोट ही पा सके…खंडवा लोकसभा में अनुसूचित जाति व जनजाति का खासा दबदबा है.. यहां एससी-एसटी वर्ग के 7 लाख 68 हजार 320 मतदाता हैं..जबकि 4 लाख 76 हजार 280 ओबीसी के, अल्पसंख्यक 2 लाख 86 हजार 160 व सामान्य वर्ग के 3 लाख 62 हजार 600 मतदाता हैं..वहीं अन्य वर्ग के मतदाताओं की संख्या करीब 15 सौ ही है.. आदिवासी व अल्पसंख्यक मतदाता यहां निर्णायक भूमिका अदा करते रहे हैं.. खंडवा में कुल 21 लाख 631 मतदाता हैं..इनमें 10लाख 65 हजार 540पुरुष व 10लाख 35 हजार 32 महिला मतदाता हैं..पिछले विधानसभा चुनाव में खंडवा लोकसभा वाली विधानसभाओं में भी महिला मतदाताओं ने बढ़ चढ़कर भागीदारी की थी…..चौथे चरण में चुनाव वाली इस सीट पर एक बार फिर बंपर मतदान के आसार हैं..
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कुल मतदाता     21 लाख 631
पुरुष मतदाता    10,65,540
महिला मतदाता  10,35,032
अन्य मतदाता               059
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जातीय समीकरण
अजा,अजजा वोटर्स       7 लाख 68 हजार 320
ओबीसी वोटर्स            4 लाख 76 हजार 280
अल्पसंख्यक              2 लाख 86 हजार 160
सामान्य वर्ग               3 लाख 62 हजार 600
अन्य                                          15 सौ

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बीते चुनावों के नतीजों पर गौर करें तो खंडवा सीट पर बीते तीन दशक से बीजेपी के प्रभाव नजर आता है..लेकिन इस बार नतीजे किसके पक्ष में होंगे..कौन करेगा इस सीट से संसद में नेतृत्व..इसका फैसला इस सीट के बीस लाख से अधिक मतदाता करेंगे..उनके फैसले का खुलासा होने तक हमें करना होगा इंतजार…नमस्कार!