MP : सत्ता के गलियारे से– यह तो ‘उनके’ बस का भी नहीं

Bhopal 19 November,सत्ता के गलियारे से … रवि अवस्थी** यह तो ‘उनके ‘ बस का भी नहीं
ये पल जो जीवन का हिस्सा बन जाते हैं..। इस प्रेम,विश्वास और आशीर्वाद के लिए हृदय की गहराइयों से धन्यवाद!ये पंक्तियां मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के उस भावुक ट्वीट की जो उन्होंने मतदान समाप्ति व राजस्थान से आए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के बयान के चंद घंटे बाद पोस्ट किया। यह आभार सिर्फ मौजूदा चुनाव में मिले सहयोग का या बीते 18 सालों में मिले उस प्रेम का,जिसने मप्र में शिवराज के नाम रिकॉर्ड दर्ज कराए।

प्रदेशवासियों से उन्होंने परिवार का नाता जोड़ा। वे’पांव-पांव वाले भैया’ से बच्चों के’मामा’और महिलाओं के’लाड़ले भाई’बन गए। मप्र में नेता व शासक तो बहुत हुए,लेकिन शिवराज उन बिरले राजनेताओं में एक हैं जो अपने व्यवहार व कार्यशैली से अधिकांश प्रदेशवासियों के दिल में बस गए।पार्टी उनकी भूमिका आगे भले ही कुछ भी तय करे,लेकिन यह तय है कि शिवराज को लोगों के दिल से निकालपाना तो ‘उनके’ बस में भी नहीं।

** चर्चा में फिर’आधी आबादी’
वर्ष 2023 का विधानसभा चुनाव महिलाओं की ताकत के लिए ही जाना जाएगा। जिसने सूबे के दोनों प्रमुख दलों को अपनी और झुकने पर मजबूर भी किया। हालांकि,बीजेपी ने इस आहट को वक्त से पहले महसूस किया।सूत्रधार बने मुख्यमंत्री शिवराज। सदी के पहले दशक से ही बेटियों व महिलाओं को लेकर जितनी योजनाएं मप्र में लागू की गईं,किसी अन्य राज्य में नहीं। कुछ तो अनुकरणीय बनीं।

राजनीतिक पंडित अब मतदान केंद्रों पर लगी महिलाओं की कतारें देख परिणाम का आंकलन कर रहे हैं। घोषणाओं व योजना का इंपेक्ट तलाशा जा रहा है। दूसरी ओर साढ़े तीन लाख से अधिक स्व-सहायता समूहों की वे लाखों ग्रामीण महिलाएं भी हैं। जिनका नेटवर्क सीएम शिवराज ने चौथी पारी संभालते ही मजबूत करना शुरू कर दिया था। लाड़ली बेटियां,विवाह-निकाह,तीन तलाक से मुक्ति जैसी सौगातों की एक लंबी फेहरिस्त तो है ही।

** सांसत में दिग्गज
बीजेपी केंद्रीय नेतृत्व ने सात सांसद व एक महासचिव को भी अपना उम्मीदवार बनाया। बड़बोलेपन वाले बयान भी सामने आए। मन मसोस कर सही,लेकिन इन्हें मैदान में ही उतरना पड़ा। शुरुआती हवा यही,कि इनमें कुछ सीएम इन वेटिंग भी हैं।

जो अपनी ही नहीं आसपास की सीटों पर भी असर डालेंगे,लेकिन हालात ये बनें कि स्टार प्रचारक घोषित होने के बावजूद अधिकतर अपनी सीटों तक ही सीमित होकर रह गए। बची कसर,अपेक्षाकृत कम मतदान ने पूरी कर दी।अब धड़कनें बढ़ी हुई हैं। एक-एक वोट का हिसाब हो रहा है। दुविधा में पहले ही थे। अब साख भी दांव पर है।

** क्या-क्या नहीं किए जतन
भारी गहमा-गहमी के बाद उम्मीदवारों के भाग्य का फैसला अंतत: ईवीएम में सुरक्षित हो गया। पखवाड़ेभर चले प्रचार के दौरान प्रत्याशियों ने क्या कुछ जतन नहीं किए। किसी ने पूड़ियां बेली तो किसी ने चाट ठेले पर ​आलू टिकिया तली। चरण वंदना के लिए झुक-झुककर कुछ की तो कमर ही जवाब दे गई,लेकिन राजगढ़ के कांग्रेस प्रत्याशी व विधायक बापूसिंह तंवर ने कुछ अलग किया।

एक सभा में उन्होंने खुली चेतावनी दी कि वोट नहीं मिला तो मोहनखेड़ा बांध में कूद जाऊंगा। रामदेव बाबा(योग गुरू नहीं)के श्राप का हवाला भी दिया। उनकी चेतावनी कितनी प्रभावी रही,इसका खुलासा 3 दिसंबर को होगा। बहरहाल,उनके बयान ने विरोधियों को सक्रिय कर दिया। शिकवे-शिकायत भी हुई। इधर,प्रचार खत्म होते ही चुनावी सभा,रोड शो का हिसाब-किताब हुआ तो शिवराज 165 सभाओं के साथ फिर अव्वल रहे। कुछ सभाएं तो उन्होंने दौड़ लगाकर पूरी की।

**’रील’के दीवाने
सोशल मीडिया पर’रील’बनाने का शौक कई लोगों के लिए जुनून बन चुका है। चुनाव में ज्यादातर प्रत्याशियों को खुद का वोट डालने के बाद मतदाताओं के वोट डलवाने की फिक्र रहती है,लेकिन मंदसौर में आजाद समाज पार्टी के प्रत्याशी शम्भूलाल उर्फ प्रिंस सूर्यवंशी ने वोटिंग के दौरान न केवल खुद की ‘रील’बनाई,बल्कि इसे सोशल मीडिया पर अपलोड भी कर दिया।

बात सार्वजनिक होने पर जिला प्रशासन ने अब प्रिंस ही नहीं उनके सहयोगियों के खिलाफ भी आचार संहिता उल्लंघन का मामला दर्ज किया है।इधर,पिछले चुनाव में भोपाल में कांग्रेस नेता दिग्विजय के लिए मिर्ची यज्ञ कर चर्चा में आए मिर्ची बाबा उर्फ वैराग्यानंद बुधनी में महिलाओं को खुलेआम साड़ियां बांटकर चर्चित रहे।जैसे -तैसे एक गंभीर मामले से छुटकारा पाने वाले मिर्ची बाबा भी अब आचार संहिता उल्लंघन प्रकरण का सामना कर रहे हैं। वैराग्यनंद फिलहाल बुधनी से सपा प्रत्याशी हैं।

** महंगा पड़ा सच बोलना
सच्चे और ईमानदार की तो अब जैसे कोई कद्र ही नहीं। अशोकनगर जिले के मुंगावली में एक युवक को सच बोलना महंगा पड़ गया। हुआ यूं ,कि कांग्रेस कार्यकर्ताओं की भीड़ प्रचार के लिए बहादुरपुर थाना क्षेत्र में पहुंची। इन्हीं में से कुछ ने वहां एक युवक से पूछ लिया कि वह किसे वोट देगा?

अपेक्षित जवाब नहीं मिलने पर सवालकर्ताओं ने न केवल युवक की जमकर पिटाई कर दी,बल्कि बीच-बचाव करने आई उसकी मां को भी नहीं बख्शा। मां-बेटे दोनों ही गंभीर रूप से घायल हुए। बात आई-गई हो जाती,लेकिन मामला पुलिस तक पहुंचने से सार्वजनिक हो गया।पिटाई करने वाले जोशीले कार्यकर्ता अब अग्रिम जमानत पाने की जुगत में हैं।

** भूख ने कराई फजीहत
पोहरी विधासनसभा क्षेत्र के सेक्टर मजिस्ट्रेट बने जीएस दीक्षित मतदान के बाद निकले तो ईवीएम जमा करने के लिए थे,लेकिन इसी बीच भूख ने उन्हें ऐसा व्याकुल किया कि रास्ते में एक होटल देख वहां रुक गए। वाहन में तमाम चुनावी दस्तावेजों के साथ ईवीएम भी रखी हुईं थी। इधर,वोटिंग बाद ईवीएम पर नजर रखे कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने वाहन को होटल के बाहर खड़ा देखा तो हंगामा बरपा दिया। सवाल उठे कि होटल तो ठीक,इससे पहले रास्ते में क्यों रुके?बात इतनी तूल पकड़ी कि कलेक्टर को बीच में आना पड़ा। देर रात,ईवीएम की जांच हुई। पता चला ​दोनों मशीन खाली हैं ,जो मतदान केंद्र पर रिजर्व के तौर पर रखी गईं थी। बहरहाल,हंगामे के चलते सेक्टर अधिकारी को देर रात तक भूखे रहना पड़ा।

**अधिकारी,कर्मचारियों का हिसाब
चुनाव हो गए। नतीजों का इंतजार है,लेकिन चुनाव कार्य में लगा अमला सांसत में है। वजह,वह सूची जो कथिततौर पर एक पार्टी तैयार करा रही है। बकौल एक पूर्व मंत्री बीजेपी का हथियार बनकर काम करने वाले अधिकारी-कर्मचारी बख्शे नहीं जांएगे। प्रदेशाध्यक्ष के पास ऐसे सभी लोकसेवकों की सूचियां आ रही हैं। जरूरत पड़ी तो डीओपीटी तक जानकारी देकर कार्रवाई कराई जाएगी। यह वर्ग इस दल के निशाने पर पहले भी रहा। चुनाव प्रचार के दौरान भी और अब मतदान होने पर भी।

** अधिक जागरूक कौन ?
शिवपुरी जिले के चार गांवों के मतदाता कालीसिंध नदी तैरकर मतदान करने पहुंचे और शत-प्रतिशत मतदान किया। इधर,राजधानी के चार इमली बूथ क्षेत्र में मतदान सिर्फ 57 फीसद ही रहा। जबकि क्षेत्र में 201आईएएस-आईपीएस,14आईएफएस,34 सीनियर डिप्टी कलेक्टर व 21 प्रोफेसर आदि मतदाता रहते हैं। बड़ा सवाल यही कि वोटिंग धर्म को लेकर अधिक जागरूक कौन?

** ईसी की एक और माथापच्ची
दो बार सेवावृद्धि पा चुके मप्र के मौजूदा मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस का कार्यकाल आगामी 30 नवंबर को पूरा होने जा रहा है। फिलहाल प्रदेश की प्रशासनिक बागडोर भी चुनाव आयोग के हाथ में हैं। ऐसे में एक दिसंबर से नया सीएस कौन हो ? मौजूदा को ही महीनेभर की सेवावृद्धि दी जाए या किसी और को अतिरिक्त प्रभार। इसे लेकर चुनाव आयोग में माथापच्ची शुरू हो गई है। दूसरे विकल्प पर गौर किया गया तो फिलहाल प्रदेश में पदस्थ 88 बैच की वीरा राणा वरिष्ठता के क्रम में सबसे ऊपर हैं। किसी और नए नाम को लेकर उलझन बहुत हैं। कार्यकाल के लिहाज से 89 बैच के अधिकारियों की एक लंबी सूची है। वहीं खुदा-न-ख्वास्ता राहुल के ओबीसी फार्मूले पर गौर हुआ तो कई को सुपरसीट करना पड़ेगा।आयोग ऐसी किसी उलझन में पड़ना नहीं चाहेगा।

** पेश की मानवीयता का मिसाल
वाक्या इंदौर में 14 नवंबर का है।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के रोड शो के चलते शहर में सुरक्षा के कड़े इंतजाम थे। कई मार्गों पर यातायात तो छोड़िए,पैदल गुजरने पर बंदिश थी। ऐसे में कुछ लोग व्यस्ततम बाजार क्षेत्र में एक गर्भवती को लेकर पहुंचे। इन्हें महिला की प्रसूति के लिए समीपस्थ अस्पताल पहुंचना था। थोड़ी देर की नानुकुर के बाद मौके पर मौजूद संयोगितागंज टीआई विजय तिवारी व डीआईजी अमित सिंह से महिला की पीड़ा देखी नहीं गई। तत्काल एसपीजी के अफसरों को भरोसे में लिया और बैरिकेड्स हटाकर महिला को अस्पताल पहुंचाने में मदद की।