रवि अवस्थी,भोपाल। शिप्रा नदी किनारे बसी उज्जैन नगरी कई मायनों में खास है..महाकाल का धाम होने से प्रदेश के सभी प्रमुख दल अपने चुनाव प्रचार की शुरुआत बाबा का आशीर्वाद लेने के साथ ही करते हैं..
शहर की दक्षिण विधानसभा सीट की सियासत भी धर्म एवं अध्यात्म से ओत-प्रोत रही है..बाबा का आशीर्वाद यहां सभी जाति,धर्म के सनातनी उम्मीदवारों को मिलते रहा है..आसन्न चुनाव में जीत को लेकर सियासी दांव पेंच शुरू हो गए हैं…
उज्जैन दक्षिण सीट अंतर्गत शहरी व ग्रामीण इलाके दोनों ही शामिल हैं..इसके चलते यहां का सियासी मिजाज खालिस तौर पर शहरी व धार्मिक स्थलों वाली सीट उज्जैन उत्तर से कुछ भिन्न रहा है..यही वजह है कि यहां दल के साथ ही चेहरे प्रभावी रहे..मध्य प्रदेश गठन के साथ ही बनी इस सीट के लिए अब तक कुल 14 आम चुनाव हुए..इनमें 6 बार कांग्रेस तो 8 बार बीजेपी व इसके पूर्ववर्ती संगठनों ने विजय हासिल की…
फर्क इतना है कि देश में जब तक कांग्रेस का दौर रहा..यह सीट इस दल के साथ रही..90 के दशक से सिर्फ एक मौके यानी 1998 के चुनाव को छोड़ शेष 6 चुनाव बीजेपी ने जीते…जबकि इससे पहले बीजेपी के पूर्व संगठन यानी जनसंघ ने 1967 तो जनता पार्टी ने 1977 में इस सीट से अपना परचम लहराया…
इस सीट के सियासी महत्व को इसी बात से समझा जा सकता है कि यहां से निर्वाचित अधिकांश विधायक या तो मंत्री बने या प्रदेश की सियासत में उनकी भूमिका अहम रही… इस सीट के मौजूदा विधायक डॉ मोहन यादव भी वर्तमान में प्रदेश के उच्च शिक्षा मंत्री हैं..इनसे पहले निर्वाचित विधायक शिवनारायण जागीरदार,महावीर प्रसाद वशिष्ठ,दुर्गादास सूर्यवंशी,हंसा बेन के नाम भी ऐसी ही सियासी हस्तियों में शुमार रहे..
उज्जैन दक्षिण में अब तक निर्वाचित विधायक व उनके दल
1957: अयाचित वासुदेव कांग्रेस
1962: हंसा बेन कांग्रेस
1967: गंगाराम जनसंघ
1972: दुर्गादास सूर्यवंशी कांग्रेस
1977: गोविंदराव नाइक जनता पार्टी
1980: महावीर प्रसाद वशिष्ठ कांग्रेस
1985: महावीर प्रसाद वशिष्ठ कांग्रेस
1990: बाबू लाल महेरे बीजेपी
1993: शिवा कोटवानी बीजेपी
1998: प्रीति भार्गव कांग्रेस
2003: शिवनारायण जागीरदार बीजेपी
2008: शिवनारायण जागीरदार बीजेपी
2013: डॉ॰ मोहन यादव बीजेपी
2018: डॉ॰ मोहन यादव बीजेपी
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बीते दो दशक से बीजेपी का कब्जा
पिछले चार चुनाव की बात की जाए तो इस सीट पर बीते दो दशक से लगातार बीजेपी का कब्जा है..उज्जैन दक्षिण से कांग्रेस को अंतिम जीत दिग्विजय शासनकाल में वर्ष 1998 के चुनाव में मिली थी..मौजूदा विधायक एवं मंत्री डॉ मोहन यादव Dr. Mohan Yadav दो बार के विधायक MLA हैं..पिछले चुनाव में उन्होंने कांग्रेस के राजेंद्र वशिष्ठ Rajendra Vashishtha को करीब 19 हजार मतों से पराजित किया..वहीं 2013 के चुनाव में डॉ यादव ने कांग्रेस के ही जयसिंह दरबार को 9,652 मतों से हराया था…
2008 व 2003 के चुनाव में इस सीट पर मुख्य मुकाबला बीजेपी के शिवनारायण जागीरदार व कांग्रेस के क्रमश: जयसिंह दरबार एवं पूर्व विधायक प्रीति भार्गव के बीच रहा..पहले चुनाव में जागीरदार ने जहां कांग्रेस प्रत्याशी की जमानत जब्त कराई…कांग्रेस प्रत्याशी को महज साढ़े 13 प्रतिशत मत ही मिले..हालांकि इसकी बड़ी वजह कांग्रेस के पूर्व प्रत्याशी जयसिंह दरबार की बगावत रही..वह निर्दलीय मैदान में उतरे और 25 प्रतिशत से अधिक मत हासिल किए..इस तरह कांग्रेस के परंपरागत मतों का विभाजन हुआ और उसे शर्मनाक हार झेलनी पड़ी..
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