पाली। वन विभाग एवं अन्य मैदानी अफसरों की मिलीभगत से जिले के पाली विकासखंड में रेत का अवैध खनन व परिवहन धडल्ले से जारी है। जिले की जीवनदायिनी कही जाने वाली जोहिली नदी एवं परसोरा बेली नाले में रेत की अवैध खनन बेरोक टोक जारी है।
विशेषकर रायपुर- बन्नौदा एवं परसोरा- बेली में यह कारोबार जोरों पर है।खास बात यह कि वन क्षेत्र में यह गोरखधंधा लंबे समय से जारी रहने के बावजूद वन विभाग के जिम्मेदार विभागीय रेंजर,डिप्टी रेंजर एवं अन्य अधिकारी आंख बंद किए हुए हैं।
सूत्रों के अनुसार,रेत का अवैध परिवहन करने वालों को विभागीय नाकों पर भी नहीं रोका जाता। इस अघोषित संरक्षण से जिले में रेत माफिया के हौसले बुलंद हैं।
रेत का अवैध खनन होने से जोहिली नदी में कुछ जगह मशीनों के माध्यम से रेत का उत्खनन किया जा रहा है उससे जलीय जीवों के साथ वन्य जीवों की सुरक्षा पर सवाल उठ रहे हैं। सूत्रों को दावा है कि इलाके के जलस्त्रोतों से अवैध तरीके के निकाली जा रही रेत को महाकौशल क्षेत्र में खपाया जा रहा है।
चंदिया क्षेत्र में भी अवैध खनन
दरअसल,यह समस्या अकेले पाली की ही नहीं बल्कि जिले की चंदिया तहसील क्षेत्र में भी खनिजों के अवैध खनन का कारोबार बड़े पैमाने पर किया जा रहा है। चंदिया तहसील में रेत के साथ अन्य खनिजों का भी अवैध खनन एवं परिवहन धडल्ले से हो रहा है।
रेत सहित अन्य खनिज के इस अवैध खनन, परिवहन और ओवरलोडिंग पर संबंधित विभागों के जिम्मेदार अमला आंख बंद किए हुए है। जिससे सरकार को जहां लाखों रुपये प्रतिदिन रायल्टी की क्षति हो रही है, वहीं करोड़ों रुपये की लागत से बनी सड़क की हालत भी खस्ता हो रही है।
बांधवगढ के जंगल में भी अवैध खनन
बांधवगढ़ के जंगल में भी रेत का अवैध खनन धड़्डले से जारी है। रेत के अवैध उत्खनन के कारण जंगल और बाघों का रहवास दोनों खतरे में है। पनपथा रेंज के समीप हो रहे अवैध उत्खनन के कारण ही यहां सक्रिय बाघ जंगल की दूसरी दिशा में पलायन कर रहे हैं।
बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के बफर क्षेत्र से निकलने वाली पिपही और भदार नदी से पोकलिन मशीनों के माध्यम से जबरदस्त तरीके से उत्खनन किया जा रहा है। इस मामले में एनजीटी के निर्देश भी हवा में उडाए जा रहे हैं।